Pulaksh Dweep and its facts as per Hindu beleifs!

According to Vishnu Purana in Hindu religion, the earth is described as follows. This description was given by Shri Parashar ji to Shri Maitreya Rishi. According to him, it cannot be described even in a hundred years. This is only a very brief description. This earth is divided into seven islands. Those islands are as follows: Jambudweep, Plakshadweep, Shalmaldweep, Kushadweep, Kraunchadweep, Shakadweep, Pushkardweep. These seven islands are surrounded by seven oceans of salt water, Ikshuras, Madira, Ghrit, Dadhi, Dudh and sweet water respectively. All these islands are built one after the other and are surrounded by seven seas. Jambudweep is situated in the middle of all these. The expanse of Plakshadweep is twice that of Jambudweep. There is a huge Plaksa tree planted in the middle here. The owner of this place, Medhatithi, had seven sons. These were: Shanthaya, Shishir, Sukhodaya, Anand, Shiva, Kshemaka, Dhruva. Here, like Bharatvarsha, this island was divided into seven parts among seven sons, which were named after them: Shantahayvarsha, etc.
Seven Mountains of Maryada: The seven mountains which determine their dignity are: Gomed, Chandra, Narad, Dundubhi, Somak, Sumana and Vaibhraj.
Seven rivers: The seven sea-going rivers of these years are Anuttapta, Shikhi, Vipasha, Tridiva, Aklama, Amrita and Sukrita. Apart from these, there are thousands of small mountains and rivers. There is neither growth nor decline in these people. It always remains the same as Tretayuga. Here the four castes are Aryak, Kurur, Vidishya and Bhavi, Brahmin, Kshatriya, Vaishya and Shudra respectively. Here there is a Plaksa (Pakad) tree of the size of the Jambu tree. This island is named after this.
Ikshu Rasa Sagar: Plakshadweep is surrounded by an ocean of Ikshuras of its own size.
हिन्दु धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार पृथ्वी का वर्णन इस प्रकार है। यह वर्णन श्रीपाराशर जी ने श्री मैत्रेय ऋषि से किया था। उनके अनुसार इसका वर्णन सौ वर्षों में भी नहीं हो सकता है। यह केवल अति संक्षेप वर्णन है। यह पृथ्वी सात द्वीपों में बंटी हुई है। वे द्वीप इस प्रकार से हैं: जम्बूद्वीप, प्लक्षद्वीप, शाल्मलद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, पुष्करद्वीप। ये सातों द्वीप चारों ओर से क्रमशः खारे पानी, इक्षुरस, मदिरा, घृत, दधि, दुग्ध और मीठे जल के सात समुद्रों से घिरे हैं। ये सभी द्वीप एक के बाद एक दूसरे को घेरे हुए बने हैं और इन्हें घेरे हुए सातों समुद्र हैं। जम्बुद्वीप इन सब के मध्य में स्थित है।प्लक्षद्वीप का विस्तार जम्बूद्वीप से दुगुना है। यहां बीच में एक विशाल प्लक्ष वृक्ष लगा हुआ है। यहां के स्वामि मेधातिथि के सात पुत्र हुए हैं। ये थे: शान्तहय, शिशिर, सुखोदय, आनंद, शिव, क्षेमक, ध्रुव। यहां इस द्वीप के भी भारतवर्ष की भांति ही सात पुत्रों में सात भाग बांटे गये, जो उन्हीं के नामों पर रखे गये थे: शान्तहयवर्ष, इत्यादि।
सात मर्यादापर्वत : इनकी मर्यादा निश्चित करने वाले सात पर्वत हैं: गोमेद, चंद्र, नारद, दुन्दुभि, सोमक, सुमना और वैभ्राज।
सात नदियां : इन वर्षों की सात ही समुद्रगामिनी नदियां हैं अनुतप्ता, शिखि, विपाशा, त्रिदिवा, अक्लमा, अमृता और सुकृता। इनके अलावा सहस्रों छोटे छोटे पर्वत और नदियां हैं। इन लोगों में ना तो वृद्धि ना ही ह्रास होता है। सदा त्रेतायुग समान रहता है। यहां चार जातियां आर्यक, कुरुर, विदिश्य और भावी क्रमशः ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र हैं। यहीं जम्बू वृक्ष के परिमाण वाला एक प्लक्ष (पाकड़) वृक्ष है। इसी के ऊपर इस द्वीप का नाम पड़ा है।
इक्षु रस सागर : प्लक्षद्वीप अपने ही परिमाण वाले इक्षुरस के सागर से घिरा हुआ है।
Source: https://hi.wikipedia.org/wiki

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